यूं तो एक अप्रैल हंसने और हंसाने के दिन यानी अप्रैल फूल के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस दिन से भारतीय क्रिकेट का एक खास रिश्ता है. भारतीय टीम ने जिस कप्तान अजित वाडेकर की अगुवाई में पहली बार विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज जीती थी उनका जन्म एक अप्रैल को हुआ था. साल 1994 में अजित वाडेकर के जन्मदिन पर सचिन तेंदुलकर ने ऐसी शरारत की थी, जिसे पढ़कर शायद आप साचेंगे- कहीं मैं अप्रैल फूल तो नहीं बन रहा? पर घबराइए नहीं, ये बिल्कुल सच्ची घटना है, जब मैदान से लेकर ड्रेसिंग रूम तक में बेहद गंभीर दिखने वाले सचिन तेंदुलकर ने बेहद चौंकाने वाली शरात की थी. सचिन की उस शरारत को क्रिकेट में जब भी लोग याद करते हैं हंसने के मजबूर हो जाते हैं. इस घटना में सचिन का एक नया रूप देखने को मिला था. आइए सचिन के उस शरारती कहानी को डिटेल में जानें.