सिर्फ आप स्वयं ही निश्चित कर सकते हैं के प्रेम का अर्थ आपके लिए क्या है. जिन प्रेम किया तिन ही प्रभु पाया. कहते हैं ये एक बहुत ही निजी अनुभव होता है इसीलिए किसी और के अनुभव से आप प्रेम का वो आभास महसूस नहीं कर सकते जो उस व्यक्ति ने महसूस किया होता है.