Nav Varsh Ko Jiyein, Bitayein Nahi! नव वर्ष को जियें, बिताएं नहीं!

2016-12-29 5

वो उम्र के अंतिम पड़ाव मैं पहुंचकर सभी चीजों का मूल्याङ्कन करने लगता है पर उसको सब बेमतलब और बेमानी लगता है. वो एक दर्शनशास्त्री की तरह सोचने लगता है और युवाओं को समझाने लगता है के वर्ष का हर दिन एक सा होता है और नए वर्ष में खुश होने जैसी कोई बात नहीं है. कितनी विडम्बना है के हर व्यक्ति जो खुद उन अनुभवों से गुजर चुका होता है हर नयी पीढ़ी को उनको करने से रोकने का प्रयास करता है.

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