Main Kaise Diwali Manaun मैं कैसे दिवाली मनाऊं (To Unknown Soldiers अनजान शहीदों को समर्पित)
कॉपीराइट@२०१६ राजासर
फुलिया की झोपड़ी में चूल्हे की आग भी नहीं
मैं कैसे दीप जला के ये खुशियां मनाऊं
मज़हब की आग ने कई घर जला ही दिए
अब किस खुदा के घर को मैं रोशन बनाऊं
तुम्हारी एक दिन की ख़ुशी कितनी महँगी होती है
कोई हिसाब हो तो मैं गिन के बताऊँ
एक दिन का पैसा दे सको तो दे दो ख़ुशी से
मैं कुछ यतीम बच्चों को रोटी खिलाऊँ
सभी रोशनियों को मैं अंधे सा देखता हूँ
स्याह हैं मेरे चित्र मैं जो भी बनाऊं
सब उनकी चिताओं पे सजा आया हूँ मैं फूल
अब किन फूलों से इस घर को सजाऊँ
सभी मार के आज जश्न मनाते संगीनों से
मैं कैसे ये छोटे पटाके चलाऊं
जाने दो यारों मुझको अकेले अँधेरे में
किसी शहीद को कुछ आंसू दे आऊं