धर्म के आधार पर वोट की अपील करने की मनाही के कानूनी दायरे पर विचार कर रही सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मंगलवार को एक बार फिर साफ किया कि वे हिन्दुत्व या धर्म के मुद्दे पर विचार नहीं करेंगे। फिलहाल कोर्ट के सामने 1995 का हिन्दुत्व का फैसला विचाराधीन नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें जो मसला विचार के लिये भेजा गया है उसमें हिन्दुत्व का जिक्र नहीं है। उन्हें विचार के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) की व्याख्या का मामला भेजा गया है जिसमें धर्म के नाम पर वोट मांगने को चुनाव का भ्रष्ट तरीका माना गया है। कोर्ट इसी कानून की व्याख्या के दायरे पर विचार कर रहा है। आपको बताते है कि इस पर संघ और कांग्रेस का क्या कहना है।