नदी कहती है' बहो, बहो जहाँ हो, पड़े न वहाँ रहो। जहाँ गंतव्य, वहाँ जाओ, पूर्णता जीवन की पाओ। विश्व गति ही तो जीवन है, अगति तो मृत्यु कहाती है। प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।