MAHAMATRA HARE KRISHNA...NIKUNJ JI ( भजन सम्राट )
( हरे कृष्णा हरे कृष्णा ,कृष्णा कृष्णा हरे हरे। हरे रामा हरे रामा ,रामा रामा हरे हरे )
कलियुग केवल नाम अधारा , सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।
राम चरित जे सुनत अघाहीं। रस बिसेष जाना तिन्ह नाहीं।।
जीवनमुक्त महामुनि जेऊ। हरि गुन सुनहीं निरंतर तेऊ।।
भव सागर चह पार जो पावा। राम कथा ता कहँ दृढ़ नावा।
मंगल भवन अमंगल हारी द्रबहु सुदसरथ अजि रबी हारी |
दीन दयाल विरद सम्भारी हरहु नाथ मम संकट भारी ||
दिव्य स्वर..निकुंज जी
निकुंज जी के स्वर किसी वेद की ऋचाओं से काम नहीं......
क्योकि उन के स्वर मे आनंद की अनुभूति होती है
ध्यान से सुन तो पता चलेगा .....
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