LIVE Aniruddha Bapu Hindi Discourse - स्वयं को कोसते रहने की प्रवृत्ति और झूठा मैं
मनुष्य के हाथों जो गलती हुई है, उसका एहसास रखकर, उसे भगवान के पास उसे कबूल कर, उसे सुधारने का प्रयास भक्तिशील बनकर मानव को अवश्य करना चाहिए। उस गलती के लिए स्वयं को बार बार कोसते नहीं रहना चाहिए। मनुष्य के इस तरह स्वयं को बार बार दोषी ठहराते रहने की प्रवृत्ति से ‘झूठे मैं’ को बल मिलता है, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १८ सितंबर २०१४ के प्रवचन में मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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