वनवासाची चौदा वर्षे उलटल्यावर एक दिवस जरी रामाच्या आगमनास उशीर झाला तर रामवियोग सहन न झाल्याने मी अग्निप्रवेश करीन, अशी प्रतिज्ञा केलेल्या भरताची भेट घेण्यास राम हनुमंताला पाठवतो. त्या हनुमंत-भरत भेटीबद्द्ल परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुंनी त्यांच्या १० मार्च २००५ रोजीच्या प्रवचनात मार्गदर्शन केले, जे आपण या व्हिडियोत पाहू शकता.
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